दैनिक जागरण,तारीख-03.06.2014-अगले महीने में बिहार के प्राथमिक विद्यालयों में 23000 उर्दू शिक्षक(जनता दल युनाईटेड / नितीश द्वारा ) नियुक्त किये जाने की प्रक्रिया शुरू होगी?मेरा ये कहना है कि जिस विदेशी भाषा को बांगलादेशी मुसलमानों ने भी नही स्वीकारा और यही पू्र्वी पाकिस्तान एवं पश्चिमी पाकिस्तान के विभाजन का प्रमुख कारण बना.वो भाषा क्या हिन्दुस्तान के लिये इतनी प्रमुख हो गयी?क्या हिन्दुस्तान और पाकिस्तान का बँटवारा इसीलिये किया गया था?क्या इस उर्दू भाषा को जानने से हिन्दुस्तान का विकाश हो जायेगा?क्या इस भाषा के शिक्षकों को बहाल करने से महत्वपूर्ण विषयों जैसे-भौतिक शास्त्र,रासायन शास्त्र,गणित,इतिहास भूगोल,सामान्य ज्ञान आदि विषयों के शिक्षकों की कमी पूरी हो जायेगी?क्या इस भाषा के शिक्षकों को बहाल करने से देश की आर्थिक व्यवस्था सुधर जायेगी?क्या उर्दू भाषा को देवनागरी अक्षरमाला मे नहीं लिखा जा सकता?जैसे कि बांगलादेश मे बंगाली अक्षरमाला में ही उर्दू भाषा लिखी जा सकती है।क्या हम भारतीय भूखे मर मर कर भी औरों को ही खीर बाँटते रहेंगे? आखिर कब तक ये मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति हिन्दुस्तान जैसे देश में निर्विरोध चलती रहेगी?जरा सोंचिये....