श्री राम, भरत जी,राजा सत्य हरिश्चंद्र, भीष्म,महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान, रानी पद्मिनी एवं अन्य राजपूत हैं या थे .... अतःराजपूत वन्दनीय हैं।ये भारतवर्ष की रक्षा के लिये, भारतवर्ष की प्रतिष्ठा ,यहाॅ की सभ्यता संस्कृती की,कमजोरों की रक्षा के लिये ,मन्दिरों की रक्षा के लिये प्रतिबद्ध हैं। मगर वे राजपूत निश्चित रूप से आदरणीय नहीं हैं, जो विदेशी मुसलमानों की ,विदेशियों की,मदद करते हैं।और हिन्दू/ सनातन धर्म की,गौ माता की,स्त्रियों एवं बच्चों की मदद/ रक्षा नही करते ।ऐसे राजपूतों को मै तो राजपूत नहीं मानता। केवल "सिंह" टाईटल लगाने से दहाडने से ही कोई राजपूत नहीं हो जाता।वरना "सिंह" जैसे आदरणीय शब्द अपमानित होते है। मितभाषी ,सत्यवक्ता एवं धर्मपारायण भी होना आवश्यक है।
"क्योंकि रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई" ।
अतः क्षत्रिय हों तो ऱाजा रामचन्द्र जी जैसे ,युधिष्ठिर,भीम,अर्जुन जैसे वरना न हों तो ही अच्छा है।http://youtu.be/CF_wh4Iahz4
"क्योंकि रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई" ।
अतः क्षत्रिय हों तो ऱाजा रामचन्द्र जी जैसे ,युधिष्ठिर,भीम,अर्जुन जैसे वरना न हों तो ही अच्छा है।http://youtu.be/CF_wh4Iahz4
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