Thursday, March 1, 2012

Be Vegetarian


Shared With thanks to my dear sister Divya Srivastava
जब खाने के लिए प्रकृति ने भाँती-भाँती की वनस्पतियाँ, फल और अनाज उपलब्ध करा दिए हों तो हिंसक पशुओं के समान 'लाश' के टुकड़े खाने की क्या आवश्यकता है ?

कम से कम उन पशुओं से ही कुछ सीखिए जिनके मृत शवों को आप खाते हैं। बेचारे बेजुबान पशु (गाय, ऊंट, बकरी, सुवर , मुर्गी आदि) तो शाक भाजी ही खाते हैं , लेकिन आप जैसे दरिन्दे इनके मांस का भक्षण करते हैं।

एक बकरीद आने की देर है , करोड़ों की संख्या में बेजुबान पशु हलाल कर दिए जायेंगे। बेदर्द और हिंसक आदमजात बैठकर इनकी लाश की दावत करेगी।

धिक्कार है ऐसी आदमीयत पर जिसमें मानवीयता का अभाव हो। लाश का सेवन करने वालों से मानवीय संवेदनाओं को समझ सकने की अपेक्षा व्यर्थ है।

ऐसे लोग हिंसक होते हैं तथा समाज में हिंसा और आतंकवाद को ही बढ़ावा देते हैं।

हमारी सरकार को चाहिए की भारत देश में पशुओं के हलाल पर पूर्णतया पाबंदी लगा दे। जिसे अपनी जबान के चटोरेपन पर नियंत्रण न हो वे तुर्किस्तान अथवा पाकिस्तान में जाकर निवास करें ।

हिंदुस्तान को सात्विक ही रहने दें।

Zeal

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