Monday, March 3, 2014

अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम श्री रामजन्म भूमि पर राम मन्दिर

अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम श्री रामजन्म भूमि पर अभी तक मन्दिर का नहीं बनना ही यह साबित करता है कि राम थे,राम हैं और निःसन्देह श्रीराम ही अयोध्या के राजा थे,और हैं भी।दयालु,भक्त वत्सल,प्रेम के सागर मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम अपनी प्रजा के किसी भी वर्ग को दुखी नहीं कर सकते।नही तो जिस श्रीराम का केवल नाम ही लेने से मनुष्य के सारे कष्टों क निवारण हो जाता है,एक छोटा सा मन्दिर क्यूं न बनता भला। और इससे ये भी साबित होता है कि अल्लाह और श्रीराम एक ही हैं। वरना ये मत भूलें कि मात्र एक व्यक्ति के आरोप लगाने से,और अपनी कायर , मूर्ख प्रजा के समुचित विरोध नहीं करने के कारण उन्होनें माँ सीता का परित्याग कर दिया था।और तब से आज तक अयोध्या नगरी उदास की उदास ऩगरी ही रही,वैभवविहीन ही रही।गलत किये तो परिणाम भी झेलो। अगर नहीं बनता है मन्दिर तो बर्दाश्त करो।ये सब माँ सीता के तिरस्कार ही करने का फल है,भुगतो।माँ सीता वल्मीकि आश्रम(चम्पारण. बिहार) में रहीं,वहॅा के लोगों क समृद्धी देख कर जलो।और भारतीय मुस्लिम तुमलोग भी ये याद रखो कि अगर तुमने भी अगर अयोध्या नगरी मे राममन्दिर नहीं बनने दिया ,तो तुम लोग भी समृद्धी एवं वैभव हीन ही रहोगे हीं,जैसा कि आज तक रहते आये।क्योकि श्रीराम कभी अपने मन्दिर बनाने की पैरवी करने नहीं आएंगे......................... और भारत राष्ट्र के लोग आधारभूत से ही श्रीराम के ही स्थापित सिद्धान्तों पर चलते आये हैं,यद्यपि यहाँ के राजा या लोग किसी भी धर्म या देश के क्यो न थे या हों।

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