Monday, March 3, 2014

Sanskrit


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एक संस्कृत अध्यापक अपने शिष्यों को उपनिषद ज्ञान दे रहे थे l

तभी उनका परिचारक (नौकर ) आया बोला ,

बाबू जी सरकार की तरफ से एक चिठ्ठी आई है

=क्या लिखा है ?

सरकार आपको संस्कृत के सेवा के लिए आदर्श शिक्षक का पुरस्कार देना चाहती है ,इसलिए ये फार्म भर कर भेजना है ,,सरकार आपकी पूरी जानकारी चाहती है l

=तो ठीक है धन्यवाद की चिट्ठी भेज दो सरकार को ,और लिख दो की,, मैंने संस्कृत की नहीं संस्कृत ने मेरी सेवा की है ,,संस्कृत ने मुझ पर उपकार किया है मैंने उस पर कोई उपकार नहीं किया है ,,,सम्मान करना ही है तो उन विद्यार्थियों का करें जो दम तोड़ रही इस भाषा को अब भी विशवास के साथ पढ़ रहे हैं l चिठ्ठी लिख कर ले आओ मै हस्ताक्षर कर देता हूँ l
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इसी को कहते हैं निस्वार्थ निष्काम कर्म ,,इसी को कहते हैं आत्मज्ञान

आगे की कहानी स्वयं विडिओ में देखें ,, देखेंगे तो बगैर मुस्कुराए नहीं रह पाएँगे ,,और देख लेंगे तो सारे एपिसोड के लिए मुझे नहीं बोलना पड़ेगा ,,,सारे एपिसोड आप स्वयं देखते जाएंगे

you must know yourself before knowing anything else . but do you realy know yourself ?

https://www.youtube.com/watch?v=6y7Jcv4zSdI

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